ग़म-ए-मोहब्बत में दिल के दाग़ों से रू-कश-ए-लाला-ज़ार हूँ मैं-अल्लामा ताजवर नजीबाबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allama Tajvar Nazibabadi
ग़म-ए-मोहब्बत में दिल के दाग़ों से रू-कश-ए-लाला-ज़ार हूँ मैं-अल्लामा ताजवर नजीबाबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allama Tajvar Nazibabadi ग़म-ए-मोहब्बत में दिल के दाग़ों से रू-कश-ए-लाला-ज़ार हूँ मैं फ़ज़ा बहारीं है जिस के जल्वों से वो हरीफ़-ए-बहार हूँ मैं खटक रहा हूँ हर इक की नज़रों में बच के चलती है मुझ से …