गले से दिल के रही यूँ है ज़ुल्फ़-ए-यार लिपट-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

गले से दिल के रही यूँ है ज़ुल्फ़-ए-यार लिपट-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi गले से दिल के रही यूँ है ज़ुल्फ़-ए-यार लिपट कि जूँ सपेरे की गर्दन में जाए मार लिपट मज़े उठाते क़मर-बंद की तरह से अगर कमर से यार की जाते हम एक बार लिपट हमारे पास …

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