गर ऐश से इशरत में कटी रात तो फिर क्या-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
गर ऐश से इशरत में कटी रात तो फिर क्या-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi गर ऐश से इशरत में कटी रात तो फिर क्या और ग़म में बसर हो गई औक़ात तो फिर क्या जब आई अजल फिर कोई ढूँडा भी न पाया क़िस्सों में रहे हर्फ़-ओ-हिकायात तो फिर …