गर्म यां यूं तो बड़ा हुस्न का बाज़ार रहा-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

गर्म यां यूं तो बड़ा हुस्न का बाज़ार रहा-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi गर्म यां यूं तो बड़ा हुस्न का बाज़ार रहा मैं फ़कत एक दुकां का ही ख़रीदार रहा देखा मैं जब उसे फिर आइनए-चश्म के बीच ता-दमे-मर्ग वही अक़्स नमूदार रहा आ फंसा जो कोई इस दाम-गहे-हस्ती …

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