गरिमा खण्डित होती है- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri
गरिमा खण्डित होती है- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri रोज यहाँ मानवता की गरिमा खण्डित होती है अबला के लाज लुटेरों से बेटी दण्डित होती है इंसानों की बस्ती में लाज शरम सब खत्म हुए दौर नया है अब बेशर्मी महिमामंडित होती है चुन कर जिनको …