गरानी-ए-शबे-हिज्राँ दुचंद क्या करते-दस्ते सबा -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz
गरानी-ए-शबे-हिज्राँ दुचंद क्या करते-दस्ते सबा -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz गरानी-ए-शबे-हिज्राँ दुचंद क्या करते इलाजे-दर्द तेरे दर्दमंद क्या करते वहीं लगी है जो नाज़ुक मकाम थे दिल के ये फ़र्क़ दस्ते-अदू के गज़ंद क्या करते जगह-जगह पे थे नासेह तो कू-ब-कू दिलबर इन्हें पसंद, उन्हें नापसंद क्या …