कई बार इसका दामन भर दिया हुस्ने-दो-आलम से-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz
कई बार इसका दामन भर दिया हुस्ने-दो-आलम से-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz कई बार इसका दामन भर दिया हुस्ने-दो-आलम से मगर दिल है केः उसकी ख़ानःविरानी नहीं जाती कई बार इसकी ख़ातिर ज़र्रे-ज़र्रे का जिगर चीरा मगर ये चश्मे-हैराँ, जिसकी हैरानी नहीं जाती नहीं जाती मताए’-लालो-गौहर की …