गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi हमारा प्यारा हिन्दुस्तान-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi सूर है न चन्द है-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi सुभाषचन्द्र-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita …

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हमारा प्यारा हिन्दुस्तान-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

हमारा प्यारा हिन्दुस्तान-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi जिसको लिए गोद में सागर, हिम-किरीट शोभित है सर पर। जहाँ आत्म-चिन्तन था घर-घर, पूरब-पश्चिम दक्षिण-उत्तर॥ जहाँ से फैली ज्योति महान। हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥ जिसके गौरव-गान पुराने, जिसके वेद-पुरान पुराने। सुभट वीर-बलवान पुराने, भीम और हनुमान पुराने॥ जानता जिनको एक …

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सूर है न चन्द है-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

सूर है न चन्द है-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi फ़ाटत ही खम्भ के अचम्भि रहे तीनों लोक, शंकित वरुण है पवन-गति मन्द है । घोर गर्जना के झट झपटि झड़ाका जाय, देहली पे दाव्यो दुष्ट दानव दुचन्द है ।। पूर्यो वर कीन्हौ है अधूरो न रहन पायो, …

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सुभाषचन्द्र-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

सुभाषचन्द्र-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi तूफान जुल्मों जब्र का सर से गुज़र लिया कि शक्ति-भक्ति और अमरता का बर लिया । खादिम लिया न साथ कोई हमसफर लिया, परवा न की किसी की हथेली पर सर लिया । आया न फिर क़फ़स में चमन से निकल गया …

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साम्यवाद-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

साम्यवाद-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi समदर्शी फिर साम्य रूप धर जग में आया, समता का सन्देश गया घर-घर पहुँचाया । धनद रंक का ऊँच नीच का भेद मिटाया, विचलित हो वैषम्य बहुत रोया चिल्लाया ।। काँटे बोए राह में फूल वही बनते गए, साम्यवाद के स्नेह में …

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सागर के उस पार-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

सागर के उस पार-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi सागर के उस पार सनेही, सागर के उस पार । मुकुलित जहाँ प्रेम-कानन है परमानन्द-प्रद नन्दन है । शिशिर-विहीन वसन्त-सुमन है होता जहाँ सफल जीवन है । जो जीवन का सार सनेही । सागर के उस पार । है …

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संकित हिये सों पिय अंकित सन्देशो बांच्यो-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

संकित हिये सों पिय अंकित सन्देशो बांच्यो-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi संकित हिये सों पिय अंकित सन्देशो बांच्यो, आई हाथ थाती-सी सनेही प्रेमपन की । नीलम उधर लाल ह्वै कै दमकन लागे, खिंच गई मधु रेखा मधुर हँसने की ।। स्याम घन सुरति सुरस बरसन लागो, वारें …

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शैदाए वतन-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

शैदाए वतन-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi हम भी दिल रखते हैं सीने में जिगर रखते हैं, इश्क़-ओ-सौदाय वतन रखते हैं, सर रखते हैं। माना यह ज़ोर ही रखते हैं न ज़र रखते हैं, बलबला जोश-ए-मोहब्बत का मगर रखते हैं। कंगूरा अर्श का आहों से हिला सकते हैं, …

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वह हृदय नहीं है पत्थर है-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

वह हृदय नहीं है पत्थर है-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं वह हृदय नहीं है पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं

राष्ट्रीयता-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi

राष्ट्रीयता-गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gayaprasad Shukla Sanehi साम्यवाद बन्धुत्व एकता के साधन हैं, प्रेम सलिल से स्वच्छ निरन्तर निर्मल मन हैं। डाल न सकते धर्म आदि कोई अड़चन हैं, उदाहरण के लिए स्वीस है, अमेरिकन है॥ मिले रहे मन मनों से अभिलाषा भी एक हो, सोना और सुगन्ध हो …

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