धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ-दर्द दिया है-गोपालदास नीरज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gopal Das Neeraj
धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ-दर्द दिया है-गोपालदास नीरज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gopal Das Neeraj धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ! बहुत बार आई-गई यह दिवाली मगर तम जहां था वहीं पर खड़ा है, बहुत बार लौ जल-बुझी …