बेचैन हैं अब ख़ालसा -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,
बेचैन हैं अब ख़ालसा -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , बेचैन हैं अब ख़ालसा जी रंज के मारे । दिल पर ग़म-ओ-अन्दोह के चलने लगे आरे । ख़ामोश तड़पने लगे सतिगुर के प्यारे । जोगी जी कहो पंथ से अब फ़तह गुज़ारे । छाया …