बेचैन हैं अब ख़ालसा -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

बेचैन हैं अब ख़ालसा -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , बेचैन हैं अब ख़ालसा जी रंज के मारे । दिल पर ग़म-ओ-अन्दोह के चलने लगे आरे । ख़ामोश तड़पने लगे सतिगुर के प्यारे । जोगी जी कहो पंथ से अब फ़तह गुज़ारे । छाया …

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लछमन सा बिरादर पए–गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

लछमन सा बिरादर पए–गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , लछमन सा बिरादर पए-तसकीन-ए-जिगर था । सीता सी पतीबरत से बन राम को घर था । बाकी हैं कन्हय्या तो नहीं उन का पिसर था । सच्च है गुरू गोबिन्द का रुतबा ही दिगर था …

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याकूब को यूसफ़ के -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

याकूब को यूसफ़ के -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , याकूब को यूसफ़ के बिछड़ने ने रुलाया । साबिर कोई कम ऐसा रसूलों में है आया । कटवा के पिसर चारे इक आंसू न गिराया । रुतबा गुरू गोबिन्द ने रिश्यों का बढ़ाया । …

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थे चाहते पैवन्द करें -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

थे चाहते पैवन्द करें -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , थे चाहते पैवन्द करें ख़ाक का सब को । हातिफ़ ने कहा काम में लाना न ग़ज़ब को । लड़ना नहीं मनज़ूर है आज आप का रब्ब को । येह सुन के गुरू भूल …

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इतने में ख़दंग आ के-गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

इतने में ख़दंग आ के-गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , इतने में ख़दंग आ के लगा हाए जिगर में । था तीर कलेजे में या कांटा गुल-ए-तर में । तारीक ज़माना हुआ सतिगुर की नज़र में । तूफ़ान उठा ख़ाक उड़ी बहर में बर …

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सर गोद में ले कर के-गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

सर गोद में ले कर के-गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , सर गोद में ले कर के कहा भाई से बोलो । इस ख़्वाब-ए-गिरां से कहीं हुशियार तो हो लो । हम कौन हैं देखो तो ज़रा आंख तो खोल्हो । सोने की ही …

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शहज़ादे के हरबे से-गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

शहज़ादे के हरबे से-गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , शहज़ादे के हरबे से शुजाअ-ओ-जरी हारे । जी-दारों के जी छूट गए, सब कवी हारे । मासूम से वुह बाज़ी सभी लश्करी हारे । कमज़ोर से निरबल से, हज़ारों बली हारे । मैदां में जब …

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दस बीस को ज़ख़्मी किया -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

दस बीस को ज़ख़्मी किया -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , दस बीस को ज़ख़्मी किया दस बीस को मारा । इक हमले में इस एक ने इकीस को मारा । ख़न्नास को मारा कभी इबलीस को मारा । ग़ुल मच गया इक तिफ़ल …

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जब फ़तह गजा कर -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

जब फ़तह गजा कर -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , जब फ़तह गजा कर गए जुझार थे रन में । हर शेर, बघेला नज़र आने लगा बन में । नन्ही सी कज़ा बोली मैं आई हूं शरन में । दिलवायो अमां गोशा-ए-दामान-ए-कफ़न में । …

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दादा से मिलो सुअरग में -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,

दादा से मिलो सुअरग में -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , दादा से मिलो सुअरग में जिस दम तो येह कहना । दो चार हों गर ख़ुल्द में आदम तो येह कहना । जब भेस में नानक के मिलें हम तो येह कहना । …

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