वादे की रात मरहबा, आमदे-यार मेहरबाँ-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
वादे की रात मरहबा, आमदे-यार मेहरबाँ-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri वादे की रात मरहबा, आमदे-यार मेहरबाँ जुल्फ़े-सियाह शबफ़शाँ, आरिजे़-नाज़ महचकाँ। बर्क़े-जमाल में तेरी, ख़ुफ़्ता सुकूने-बेकराँ और मेरा दिले-तपाँ, आज भी है तपाँ-तपाँ। शाम भी थी धुआँ-धुआँ हुस्न भी था उदास-उदास याद सी आके रह गईं दिल को कई कहानियाँ। …