गंगा कै संगि सलिता बिगरी-शब्द-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji

गंगा कै संगि सलिता बिगरी-शब्द-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji गंगा कै संगि सलिता बिगरी ॥ सो सलिता गंगा होइ निबरी ॥१॥ बिगरिओ कबीरा राम दुहाई ॥ साचु भइओ अन कतहि न जाई ॥१॥ रहाउ ॥ चंदन कै संगि तरवरु बिगरिओ ॥ सो तरवरु चंदनु होइ निबरिओ ॥२॥ पारस …

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