आशिक़ों की भंग-2-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

आशिक़ों की भंग-2-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi क्यूं अबस बैठा है, डाले कान में ग़फ़लत का तेल। ख़ल्क में क्या-क्य मची है, सब्जियों की रेल-पेल। खोल जुल्फ़े ऐश को और डाल बेले का फुलेल। फिर चढ़ा दे आसमाने ऐश पर, इश्रत की बेल। कूंडी सोटे को बजा, …

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