खोल आँखें-तार सप्तक -गजानन माधव मुक्तिबोध-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gajanan Madhav Muktibodh 

खोल आँखें-तार सप्तक -गजानन माधव मुक्तिबोध-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gajanan Madhav Muktibodh जिस देश प्राणों की जलन में एक नूतन स्वप्न का संचार हो, ओ हृदय मेरे, उस ज्वलन की भूमि में बिछ जा स्वयं ही; औ’ तड़प कर उस निराले देश में तू खोल आँखें। देख-जलते स्पन्दनों में क्या उलझता …

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