खोल्हे ग्रंथ-ए-पाक -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,
खोल्हे ग्रंथ-ए-पाक -गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , खोल्हे ग्रंथ-ए-पाक को बैठे हुज़ूर थे । उपदेश सुन के हो चुके सब को सरूर थे । जितने भी सामईन वुह नज़दीक-ओ-दूर थे । उन सब के रुख़ पि नूर के पैदा ज़हूर थे । तासीर …