खोली जो टुक ऐ हम-नशीं उस दिल-रुबा की ज़ुल्फ़ कल-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
खोली जो टुक ऐ हम-नशीं उस दिल-रुबा की ज़ुल्फ़ कल-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi खोली जो टुक ऐ हम-नशीं उस दिल-रुबा की ज़ुल्फ़ कल क्या क्या जताए ख़म के ख़म क्या क्या दिखाए बल के बल आता जो बाहर घर से वो होती हमें क्या क्या ख़ुशी गर देख …