खेल तुम्हारा ठीक नहीं- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

खेल तुम्हारा ठीक नहीं- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri बचपन के आंगन में इठलाती किलकारी से मत खेलो युवा भविष्य को आँख दिखाती बेकारी से मत खेलो किसी अबला के रोते आँचल की लाचारी से मत खेलो तुम जनमानस के उर में बसी हुई चिंगारी से …

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