खेलता तू नीहारिका-नीर में-निशीथ-उमाशंकर जोशी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Umashankar Joshi

खेलता तू नीहारिका-नीर में-निशीथ-उमाशंकर जोशी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Umashankar Joshi खेलता तू नीहारिका-नीर में लेता थाह अथाह खगोल की तू उतरता हमारे रंक-आँगन में। देखा तुझे स्वच्छन्द विहरते व्योम में उझकते झोंपड़ी में अगस्त्य की या खदेड़ते व्योमान्त तक अकेले उस मृग-लुब्ध श्वान को, या देखा खेलते ध्रुव के साथ …

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