खेत में दबाये गये दाने की तरह-त्रिकाल संध्या-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra
खेत में दबाये गये दाने की तरह-त्रिकाल संध्या-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra तुम्हे जानना चाहिए कि हम मिट कर फिर पैदा हो जायेंगे हमारे गले जो घोंट दिए गए हैं फिर से उन्हीं गीतों को गायेंगे जिनकी भनक से तुम्हें चक्कर आ जाता है ! तुम सोते से चौंक …