तवक्कुलो तर्को तजरीद-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
तवक्कुलो तर्को तजरीद-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi जितने तू देखता है यह फल, फूल पात, बेल। सब अपने अपने काम, की हैं कर रहे झमेल। नाता है यां सो नाथ, जो रिश्ता है सो नकेल। जो ग़म पड़े सो इसको तू अपने ही तन पे झेल। गर …