खुले से बंधन बिखै भलो ही सीचानो जाते-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

खुले से बंधन बिखै भलो ही सीचानो जाते-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji खुले से बंधन बिखै भलो ही सीचानो जाते जीव घात करै न बिकारु होइ आवयी । खुले से बंधन बिखै चकयी भली जाते राम रेख मेटि निसि प्रिय संगु पावयी । खुले से बंधन बिखै …

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