खुले आसमाँ में आजादी के पंख-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras
खुले आसमाँ में आजादी के पंख-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras खुले आसमाँ में आजादी के पंख, फरफरा लेने दे मुझको, कठपुतली बने महीनो बीत गये, अब तो आकाश का साफा बांध, उड़ लेने दे मुझको खुले आसमाँ में आजादी के पंख फरफरा लेने दे मुझको, पेड़ों के झुनझुने, सुन …