खुली वो ज़ुल्फ़ तो पहली हसीन रात हुई -ग़ज़ल-अब्दुल हमीद अदम-Abdul Hameed Adam-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,
खुली वो ज़ुल्फ़ तो पहली हसीन रात हुई -ग़ज़ल-अब्दुल हमीद अदम-Abdul Hameed Adam-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, खुली वो ज़ुल्फ़ तो पहली हसीन रात हुई उठी वो आँख तो तख़लीक़-ए-काएनात हुई ख़ुदा ने गढ़ तो दिया आलम-ए-वजूद मगर सजावटों की बिना औरतों की ज़ात हुई गिले बहुत थे मगर जब नज़र नज़र …