कुछ ग़में-जानां,कुछ ग़में-दौरां-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

कुछ ग़में-जानां,कुछ ग़में-दौरां-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri तेरे आने की महफ़िल ने जो कुछ आहट-सी पाई है, हर इक ने साफ़ देखा शमअ की लौ थरथराई है तपाक और मुस्कराहट में भी आँसू थरथराते हैं, निशाते-दीद भी चमका हुआ दर्दे-जुदाई है बहुत चंचल है अरबाबे-हवस की उँगलियाँ लेकिन, …

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