ऐसे काया जलती है -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

ऐसे काया जलती है -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, गीली लकड़ी सुलगे जैसे (एक विरहिणी का पीड़ा-गीत) गीली लकड़ी सुलगे जैसे ऐसे काया जलती है, बांध की दीवारों के पीछे धारा एक मचलती है। जब दिख जाते चोंच मिलाते डाली पर चकवी चकवा। अंधड़ सी बनकर उड़ती है …

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वैसे ही जीवन में क़ानून है -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

वैसे ही जीवन में क़ानून है -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, जैसे कि इस देह में ख़ून है (क़ानून एक से एक कठोर हैं, लेकिन, लोकपालन नहीं होगा तो लोकपाल भी क्या कर लेगा?) जैसे कि इस देह में ख़ून है, वैसे ही जीवन में क़ानून है। छोटा …

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रैन गई ओ नवेली -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

रैन गई ओ नवेली -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, अभी पसीना मत सुखा अभी कहां आराम (धरती रूपी इस ग्लोबल गांव में भारतीय औरत सबसे ज़्यादा काम करती है) रैन गई ओ नवेली, मत कर सोच विचार, दिन निकला चल काम कर, आंगन झाड़ बुहार। भेज पराए गांव …

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नीति बदलेगी नहीं -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

नीति बदलेगी नहीं -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, (महिला दिवस पर एक गीत) नीति बदलेगी नहीं रीति बदलेगी नहीं, जब तलक कस के कमर द्वार से निकलेगी नहीं। रास्ता ख़ुद ही बनाना होगा, सामने खुल के अब आना होगा, अपना हक सबको जताना होगा। बने रहेंगे ये दस्तूर …

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चिड़िया की उड़ान -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

चिड़िया की उड़ान -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, चिड़िया तू जो मगन, धरा मगन, गगन मगन, फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही, बोली पवन। अब जब हौसले से, घोंसले से आई निकल, चल बड़ी दूर, बहुत दूर, जहां तेरे सजन। वृक्ष की डाल दिखें जंगल-ताल दिखें खेतों …

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ज़रा मुस्कुरा तो दे -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

ज़रा मुस्कुरा तो दे -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, माना, तू अजनबी है और मैं भी, अजनबी हूँ डरने की बात क्या है ज़रा मुस्कुरा तो दे। हूं मैं भी एक इंसां और तू भी एक इंसां ऐसी भी बात क्या है ज़रा मुस्कुरा तो दे। ग़म की …

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नया साल हो -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

नया साल हो -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, नव वर्ष की शुभकामनाएं हैपी न्यू इयर, हैपी न्यू इयर। दिलों में हो फागुन, दिशाओं में रुनझुन हवाओं में मेहनत की गूंजे नई धुन गगन जिसको गाए हवाओं से सुन-सुन वही धुन मगन मन, सभी गुनगुनाएं। नव वर्ष की शुभकामनाएं …

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नई भोर -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

नई भोर -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, खुशी से सराबोर होगी कहेगी मुबारक मुबारक कहेगी बधाई बधाई आज की रंगीन हलचल दिल कमल को खिला गई मस्त मेला मिलन बेला दिल से दिल को मिला गई रात रानी की महक हर ओर होगी कल जो नई भोर होगी …

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घर बनता है घर वालों से -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

घर बनता है घर वालों से -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, दरवाज़ों से ना दीवालों से, घर बनता है घर वालों से! अच्छा कोई मकां बनाएगा पैसा भी ख़ूब लगाएगा पर रहने को नहिं आएगा तो घर उसका भर जाएगा सारा मकड़ी के जालों से। दरवाज़ों से ना …

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बमलहरी -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,

बमलहरी -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, बिन अदब के बिना मुलाहिजा (जब तबाही गुमसुम हो जाए तो सच्चाई बोलनी चाहिए, भले ही सख़्त मनाही हो।) बम बबम्बम्ब बम लहरी, गल्लां हैं गहरी-गहरी। शहरी हैं सारे गूंगे, बहरी हो गई कचहरी। ज़िन्दाबाद! कोरट में चले गवाही गुमसुम हो गई …

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