ऐसे काया जलती है -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,
ऐसे काया जलती है -खिड़कियाँ -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar, गीली लकड़ी सुलगे जैसे (एक विरहिणी का पीड़ा-गीत) गीली लकड़ी सुलगे जैसे ऐसे काया जलती है, बांध की दीवारों के पीछे धारा एक मचलती है। जब दिख जाते चोंच मिलाते डाली पर चकवी चकवा। अंधड़ सी बनकर उड़ती है …