भजन-3-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

भजन-3-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi टुक लीप जमीं को पावों से और उल्टे गन्ने उसमें बो। जो आख अखूले नीचे हों और नीचे की जड़ ऊपर हो। रख बैल जुये के कांधे पर और पेट उलट कर कोल्हू को। जो टपके रस की बूंद कोई उस रस …

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