खाली घर- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

खाली घर- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   गोधूलि वेला में घर आता हूँ मैं गोधूलि वेला में घर आता हूँ मैं तब बन्द देखता हूँ द्वार। खुले किवाड़ों के भीतर से अब झाँकते-मँडराते अन्धकार के बीच टिमटिमाती चमकीली दो तारिकाओं का समुत्सुक स्वागत…नहीं, बन्द हैं द्वार। मेरे ही …

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