ख़्वाबे-परीशाँ-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz
ख़्वाबे-परीशाँ-कविता -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz हां ख़्वाहिश कि बीमार मेरे तनहा दिल ने इक ख़्वाब सभी ख़्वाबों की तरह प्यारा देखा लेकिन मेरे सब ख़्वाबों की तरह ये ख़्वाब भी बे-मानी निकला ये ख़्वाब कि बन जाऊंगा किसी दिन बोरडिंग का मानीटर मैं हैरत कि हुआ ऐसा ही मगर …