ख़ैर माँगी जो आशियाने की-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali
ख़ैर माँगी जो आशियाने की-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali ख़ैर माँगी जो आशियाने की आँधियाँ हँस पड़ीं ज़माने की मेरे ग़म को समझ सका न कोई मुझ को आदत है मुस्कुराने की दिल सा घर ढा दिया तो किस मुँह से बात करते हो घर बसाने की हुस्न …