ख़ुद-ब-ख़ुद मय है कि शीशे में भरी आवे है-ग़ज़लें(तन्हा सफ़र की रात)-जाँ निसार अख़्तर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaan Nisar Akhtar

ख़ुद-ब-ख़ुद मय है कि शीशे में भरी आवे है-ग़ज़लें(तन्हा सफ़र की रात)-जाँ निसार अख़्तर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaan Nisar Akhtar ख़ुद-ब-ख़ुद मय है कि शीशे में भरी आवे है किस बला की तुम्हें जादू-नज़री आवे है दिल में दर आवे है हर सुब्ह कोई याद ऐसे जूँ दबे-पाँव नसीम-ए-सहरी आवे है …

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