जुगनू-नज़्में -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
जुगनू-नज़्में -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri (बीस बरस के उस नौजवान के जज़्बात,जिसकी माँ उसी दिन मर गई जिस दिन वह पैदा हुआ) ये मस्त-मस्त घटा ये भरी-भरी बरसात तमाम हद्दे-नज़र तक घुलावटों का समाँ! फ़जा-ए-शाम में डोरे-से पड़ते जाते हैं जिधर निगाह करें कुछ धुआँ सा उठता है …