फरिश्तों और देवताओं का भी-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

फरिश्तों और देवताओं का भी-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri फ़रिश्तों और देवताओं का भी, जहाँ से दुश्वार था गुज़रना हयात कोसों निकल गई है, तेरी निगाहों के साए-साए हज़ार हो इल्मी-फ़न में यकता, अगर न हो इश्क आदमी में न एक जर्रे का राज़ समझे, न एक क़तरे …

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