ख़ामोश हो क्यों दादे-ज़फ़ा क्यूँ नहीं देते-दर्द आशोब -अहमद फ़राज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmed Faraz,
ख़ामोश हो क्यों दादे-ज़फ़ा क्यूँ नहीं देते-दर्द आशोब -अहमद फ़राज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmed Faraz, ख़ामोश हो क्यों दाद-ए-ज़फ़ा क्यूँ नहीं देते बिस्मिल हो तो क़ातिल को दुआ क्यूँ नहीं देते वहशत का सबब रोज़न-ए-ज़िन्दाँ तो नहीं है मेहर-ओ-महो-ओ-अंजुम को बुझा क्यूँ नहीं देते इक ये भी तो अन्दाज़-ए-इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ है ऐ …