बुढ़ापे की आशिक़ी-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

बुढ़ापे की आशिक़ी-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi क़ायम है जिस्म गो कि नहीं कस, ग़नीमत अस्त। जीते तो हैं, अगरचे नहीं बस ग़नीमत अस्त। सौ ऐश हमको गर न मिले दम ग़नीमत अस्त। वक़्ते खि़जां चौगुल नबूद ख़स ग़नीमत अस्त। “पीरी के दम ज़िइश्क ज़िनद बस …

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