ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi होती है गुनाहों की तरफ़दारी हनूज़-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi है निय्यत ए ख़ालिस को ख़ता नामुमकिन-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi हम रिन्द हैं रिन्दों को ये पाबन्दी क्या-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता …

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होती है गुनाहों की तरफ़दारी हनूज़-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

होती है गुनाहों की तरफ़दारी हनूज़-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi होती है गुनाहों की तरफ़दारी हनूज़ कुछ देर में आएगी समझदारी हनूज़ आज़ाद है ग़फ़लत की क़लमकारी हनूज़ मुश्किल कि अदम होवे गुनहगारी हनूज़

है निय्यत ए ख़ालिस को ख़ता नामुमकिन-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

है निय्यत ए ख़ालिस को ख़ता नामुमकिन-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi है निय्यत ए ख़ालिस को ख़ता नामुमकिन उस ज़ात से इनसां को बुरा नामुमकिन कितना भी ज़माने में वह पा जाए अरूज है कुफर् को तौहीन ए ख़ुदा नामुमकिन

हम रिन्द हैं रिन्दों को ये पाबन्दी क्या-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

हम रिन्द हैं रिन्दों को ये पाबन्दी क्या-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi हम रिन्द हैं रिन्दों को ये पाबन्दी क्या आज़ाद परिन्दों को ये पाबन्दी क्या हम ख़ुद ही ख़राबे को चले आते हैं अल्लाह के बन्दों को ये पाबन्दी क्या

वीरान को गुलज़ार बनाया जिस ने-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

वीरान को गुलज़ार बनाया जिस ने-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi वीरान को गुलज़ार बनाया जिस ने हर बोझ ज़माने का उठाया जिस ने क्या मौत ने बख़्शा है बताएं उस को हर अहद में हर फ़र्ज़ निभाया जिस ने

मौजों की रवानी से मिले हैं मुझको-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

मौजों की रवानी से मिले हैं मुझको-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi मौजों की रवानी से मिले हैं मुझको महफ़िल से निहानी से मिले हैं मुझको जो छोड़ चले जाए हैं आसानी से अकसर वह गिरानी से मिले हैं मुझको

मुशकिल में हो दसतार मेरे सर का अगर-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

मुशकिल में हो दसतार मेरे सर का अगर-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi मुशकिल में हो दसतार मेरे सर का अगर ख़न्जर हो मेरे सर पे सितमगर का अगर हाँ मुझको तभी जंग में आता है मज़ा दु:शमन हो मेरे क़द के बराबर का अगर

दोनों हैं अजब हाल में दोनों हैं कमाल-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

दोनों हैं अजब हाल में दोनों हैं कमाल-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi दोनों हैं अजब हाल में दोनों हैं कमाल तेरा भी यही अहद है मेरा भी ख़याल तू है कि तिरे नाम का फ़ित्ना है हनूज़ मैं हूं कि मिरी ज़ात पे उठते हैं सवाल

ज़ुलमात में रोशन वो सितारा हैं आप-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

ज़ुलमात में रोशन वो सितारा हैं आप-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi ज़ुलमात में रोशन वो सितारा हैं आप अल्लाह की क़ुदरत का नज़ारा हैं आप रग रग में मिरी आप का दम दौड़े है गुज़री है मिरी ख़ूब गुज़ारा हैं आप (‘Rubaayi dedicated to my Dad’-Khayal Ladakhi (27 May …

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जब दर्द ओ अलम कम हुए अक्सर को चला-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

जब दर्द ओ अलम कम हुए अक्सर को चला-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi जब दर्द ओ अलम कम हुए अक्सर को चला इस ज़ीस्त से यूँ ऊभ गया घर को चला भटका मैं बहुत देर तलक दर को तेरे आख़िर को सही क़ब्र ए मुकरर को चला