दुनियाँ भी क्या तमाशा है-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
दुनियाँ भी क्या तमाशा है-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi यह जितना ख़ल्क में अब जाबजा तमाशा है। जो ग़ौर की तो यह सब एक का तमाशा है॥ न जानो कम इसे, यारो बड़ा तमाशा है। जिधर को देखो उधर एक नया तमाशा है॥ ग़रज मैं क्या कहूं …