निगाहों में वो हल कई मसायले-हयात के-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

निगाहों में वो हल कई मसायले-हयात के-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri निगाहों में वो हल कई मसायले-हयात के वो गेसूओं के ख़म कई मआमिलात के । हमारी उँगलियों में धड़कने हैं साज़े-दह्र की हम अह्‌ले-राज़ पारखी हैं, नब्ज़े कायनात के। है आबो-गिल में शोलाज़न बस एक साज़े-सरमदी हिजाबे-दह्‌र परदे …

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