ऐ बरतर अज़ ख़्यालो क़यासो गुमाने मा- कविता (धार्मिक)-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
ऐ बरतर अज़ ख़्यालो क़यासो गुमाने मा- कविता (धार्मिक)-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi यारब है तेरी जात को दोनों जहां में बरतरी। है याद तेरे फज्ल को रस्में खलाइक परवरी। दाइम है खासो आम पर लुत्फ़ो अता हिफ़्ज़ आवरी। क्या उनसिया, क्या तायेरा, क्या वह्श, क्या जिन्नों परी। पाले …