खरारी छंद (जलियाँवाला बाग)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

खरारी छंद (जलियाँवाला बाग)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   उस माटी का, तिलक लगा, जिसमें खुश्बू, आजादी की है। जलियाँवाला, बाग जहाँ, हुंकारें अरि, बर्बादी की है।। देखी जग ने, कायरता, हत्या की थी, निर्मम गोरों ने। उत्पीड़न भय, हिंसा की, तस्वीरें तब, देखी ओरों ने।। था कायर वो, …

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