खंडिता प्रकरण-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji
खंडिता प्रकरण-राधा-कृष्ण-सूर सुखसागर -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji काहे कौं कहि गए आइहैं, काहैं झूठी सौ हैं खाए । ऐसे मैं नहिं जाने तुमकौं, जे गुन करि तुम प्रगट दिखाए । भली करी यह दरसन दीन्हे, जनम जनम के ताप नसाए । तब चितए हरि नैंकु तिया-तन, इतनैहि सब …