आईना-नारी श्रृंगार-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
आईना-नारी श्रृंगार-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi ले आईने को हाथ में, और बार बार देख। सूरत में अपनी कु़दरते परवरदिगार देख॥ ख़ालेस्याह और ख़तेमुश्कबार देख। जुल्फ़े दराज तुर्रए अम्बर निसार देख॥ हर लहज़ा अपने जिस्म के, नक़्शो निगार देख। ऐ गुल तू अपने हुस्न की, आप ही बहार देख॥1॥ …