कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 1

कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 1  हुआ जो आके निशाँ आश्कार होली का हुआ जो आके निशाँ आश्कार होली का । बजा रबाब से मिलकर सितार होली का । सुरुद रक़्स हुआ बेशुमार होली का । हँसी-ख़ुशी में बढ़ा कारोबार होली का । ज़ुबाँ पे नाम हुआ बार-बार होली का ।।1।। ख़ुशी की धूम से …

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कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 2

कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 2 6. होली की बहार हिन्द के गुलशन में जब आती है होली की बहार। जांफिशानी चाही कर जाती है होली की बहार।। एक तरफ से रंग पड़ता, इक तरफ उड़ता गुलाल। जिन्दगी की लज्जतें लाती हैं, होली की बहार।। जाफरानी सजके चीरा आ मेरे शाकी शिताब। मुझको तुम बिन …

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कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 3

कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 3 मिलने का तेरे रखते हैं हम ध्यान इधर देख मिलने का तेरे रखते हैं हम ध्यान इधर देख। भाती है बहुत हमको तेरी आन इधर देख। हम चाहने वाले हैं तेरे जान! इधर देख। होली है सनम, हंस के तो एक आन इधर देख। ऐ! रंग भरे नौ गुले-खंदान …

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कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 4

कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 4 जब आई होली रंग भरी जब आई होली रंग भरी, सो नाज़ो-अदा से मटकमटक। और घूंघट के पट खोल दिये, वह रूप दिखाया चमक-चमक। कुछ मुखड़ा करता दमक-दमक कुछ अबरन करता झलक-झलक। जब पांव रखा खु़शवक़्ती से तब पायल बाजी झनक-झनक। कुछ उछलें, सैनें नाज़ भरें, कुछ कूदें आहें …

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