कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 1
कविता होली पर-नज़ीर अकबराबादी part 1 हुआ जो आके निशाँ आश्कार होली का हुआ जो आके निशाँ आश्कार होली का । बजा रबाब से मिलकर सितार होली का । सुरुद रक़्स हुआ बेशुमार होली का । हँसी-ख़ुशी में बढ़ा कारोबार होली का । ज़ुबाँ पे नाम हुआ बार-बार होली का ।।1।। ख़ुशी की धूम से …