कविता और विज्ञान-आत्मा की आँखें -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar 

कविता और विज्ञान-आत्मा की आँखें -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar हम रोमांटिक थे; हवा में महल बनाया करते थे । चाँद के पास हमने एक नीड़ बसाया था, मन बहलाने को हम उसमें आया-जाया करते थे । लेकिन तुम हमसे ज्यादा होशियार होना, कविता पढ़ने में समय मत खोना …

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