या मुझे अफसरे-शाहाना बनाया होता-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

या मुझे अफसरे-शाहाना बनाया होता-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar या मुझे अफसरे-शाहाना बनाया होता या मुझे ताज-गदायाना बनाया होता खाकसारी के लिए गरचे बनाया था मुझे काश, खाके-दरे-जनाना बनाया होता नशा-ए-इश्क का गर जर्फ दिया था मुझको उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता दिले-सदचाक बनाया तो बला से लेकिन …

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 थे कल जो अपने घर में वो महमाँ कहाँ हैं-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

थे कल जो अपने घर में वो महमाँ कहाँ हैं-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar थे कल जो अपने घर में वो महमाँ कहाँ हैं जो खो गये हैं या रब वो औसाँ कहाँ हैं आँखों में रोते-रोते नम भी नहीं अब तो थे मौजज़न जो पहले वो तूफ़ाँ कहाँ हैं …

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तेरे जिस दिन से ख़ाक-पा हैं हम-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

तेरे जिस दिन से ख़ाक-पा हैं हम-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar तेरे जिस दिन से ख़ाक-पा हैं हम ख़ाक हैं एक कीमिया हैं हम हम-दमो मिसले-सूरते-तस्‍वीर क्‍या कहें तुमसे, बेसदा हैं हम हम हैं जूँ ज़ुल्‍फ़े-आरिज़े-ख़ूबाँ गो परेशाँ है खुशनुमा हैं हम जिस तरफ़ चाहे हम को ले जाए जानते …

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 रविश-ए-गुल है कहां यार हंसाने वाले-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

रविश-ए-गुल है कहां यार हंसाने वाले-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar रविश-ए-गुल है कहां यार हंसाने वाले हमको शबनम की तरह सब है रुलाने वाले सोजिशे-दिल का नहीं अश्क बुझाने वाले बल्कि हैं और भी यह आग लगाने वाले मुंह पे सब जर्दी-ए-रुखसार कहे देती है क्या करें राज मुहब्बत के …

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 न तो कुछ कुफ़र है, न दीं कुछ है-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

न तो कुछ कुफ़र है, न दीं कुछ है-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar न तो कुछ कुफ़र है, न दीं कुछ है है अगर कुछ, तेरा यकीं कुछ है है मुहब्बत जो हमनशीं कुछ है और इसके सिवा नहीं कुछ है दैरो-काबा में ढूंडता है क्या देख दिल में कि …

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नसीब अच्छे अगर बुलबुल के होते-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

नसीब अच्छे अगर बुलबुल के होते-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar नसीब अच्छे अगर बुलबुल के होते तो क्या पहलू में कांटे, गुल के होते जो हम लिखते तुम्हारा वसफ़े-गेसू तो मुसतर तार के, सम्बुल के होते जो होता ज़रफ़ साकी हमको मालूम तो मिनतकश न जामे-मुल के होते जताते मसत …

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न रही ताब-ओ-न तवां बाकी-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

न रही ताब-ओ-न तवां बाकी-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar न रही ताब-ओ-न तवां बाकी है फ़्कत, तन में एक जां बाकी शमा-सा दिल तो जल बुझा लेकिन है अभी दिल में कुछ धुआं बाकी है कहां कोहकन, कहां मजनूं रह गया नामे-आशिकां बाकी ख़ाके-दिल-रफ़तगां पे रखना कदम है अभी सोज़िशे-नेहां …

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न किसी की आँख का नूर हूँ-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

न किसी की आँख का नूर हूँ-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ जो किसी के काम न आ सके मैं वो एक मुश्‍त-ए-गुब़ार हूँ मैं नहीं हूँ नग़मा-ए-जाँ-फ़िज़ा मुझे सुन के कोई करेगा क्या मैं बड़े बिरोग …

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नहीं जाता किसी से वो मरज़, जो है नसीबों का-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

नहीं जाता किसी से वो मरज़, जो है नसीबों का-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar नहीं जाता किसी से वो मरज़, जो है नसीबों का न कायल हूं दवा का मैं, न कायल हूं तबीबों का न शिकवा दुश्मनों का है, न है शिकवा हबीबों का शिकायत है तो किसमत की, …

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 नहीं इश्क़ में इस का तो रंज हमें-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar

नहीं इश्क़ में इस का तो रंज हमें-बहादुर शाह ज़फ़र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bahadur Shah Zafar नहीं इश्क़ में इस का तो रंज हमें कि क़रार-ओ-शकेब ज़रा न रहा ग़म-ए-इश्क़ तो अपना रफ़ीक़ रहा कोई और बला से रहा न रहा दिया अपनी ख़ुदी को जो हम ने उठा वो जो पर्दा सा बीच …

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