कल और आज-कविताएँ -गजानन माधव मुक्तिबोध-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gajanan Madhav Muktibodh
कल और आज-कविताएँ -गजानन माधव मुक्तिबोध-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gajanan Madhav Muktibodh अभी कल तक गालियाँ देते थे तुम्हें हताश खेतिहर, अभी कल तक धूल में नहाते थे गौरैयों के झुंड, अभी कल तक पथराई हुई थी धनहर खेतों की माटी, अभी कल तक दुबके पड़े थे मेंढक, उदास बदतंग था …