कल-आवाज़ों के घेरे -दुष्यंत कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dushyant Kumar

कल-आवाज़ों के घेरे -दुष्यंत कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dushyant Kumar कल : अपनी इन बिद्ध नसों में डोल रहा है संवेदन में पिघला सीसा घोल रहा है हाहाकार-हीन अधरों की बेचैनी में बोल रहा है हर आँसू में छलक रहा है ! ! ये अक्षर-अक्षर कर जुड़ने वाले स्वर ये हकला-हकलाकर …

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