परमाणु के ख़िलाफ़-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill
परमाणु के ख़िलाफ़-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill यह कोई जंग नहीं थी सोए शहरों में जागते सपनों के ख़िलाफ़। सदैव के वैर का शिखर था। नस्लकुशी की गिनी-गुथी साज़िश थी। नागासाकी न हिरोशिमा मिटा लाशें और मलबा लट लट जला फिर से जागा जापान। दैत्य की छाती पर …