कई- रंग।-राही चल : अनिल मिश्र प्रहरी (Anil Mishra Prahari)| Hindi Poem | Hindi Kavita,
कई- रंग।-राही चल : अनिल मिश्र प्रहरी (Anil Mishra Prahari)| Hindi Poem | Hindi Kavita, विधिना तेरे वृहत् विश्व का रंग अजीब निराला है, कहीं वृष्टि मोती की झरझर खाली कहीं निवाला है। कहीं विश्व के कोष चमकते क्रूर, अभय नर मतवाला, दीन-हीन नर के हिस्से में बचता है खाली प्याला। शिशुओं की साँसें रुक …