कई घरों को निगलने के बाद आती हैफिर कबीर -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana
कई घरों को निगलने के बाद आती हैफिर कबीर -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana कई घरों को निगलने के बाद आती है मदद भी शहर के जलने के बाद आती है न जाने कैसी महक आ रही है बस्ती में वही जो दूध उबलने के बाद आती है नदी पहाड़ों से …