एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri  तेरे मुकाबिल खड़ा हूँ मैं- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri तुम मुझसे मिलने आ जाना- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri हमारी उल्फ़त की पाक …

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 तेरे मुकाबिल खड़ा हूँ मैं- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

तेरे मुकाबिल खड़ा हूँ मैं- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri बचपन में हिचकोले खाती वो कागज की नाव दिखा लोरी गाकर मुझे सुलाती उस ममता की छाँव दिखा उँगली थाम के चलते थे जो खेतों की पगडंडी पर वो बाबा के संग चलने वाले नन्हें नन्हें …

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तुम मुझसे मिलने आ जाना- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

तुम मुझसे मिलने आ जाना- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri जब सावन झूला झूले तो जब पीली सरसों फूले तो जब कलियाँ भी शरमाएं तो जब भँवरा गीत सुनाए तो दो प्यार के बोल सुना जाना तुम मुझसे मिलने आ जाना जब सूरज सांझ को ढल …

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हमारी उल्फ़त की पाक चादर- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

हमारी उल्फ़त की पाक चादर- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri दिलों की चाहत तुम्हारी हम पर हमारी तुम पर बनी रहेगी हमारी उल्फ़त की पाक चादर तुम्हारे सर पर तनी रहेगी सदा हमारा यही करम है तुम्हारे ज़ज्बों का पास रखना नहीं गवारा हमें है हरगिज़ …

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यहाँ मुहब्बत में रहजनी है- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

यहाँ मुहब्बत में रहजनी है- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri मरीज ए दिल की दवा है लेकिन असीर ए दिल की दवा नहीं है न इसकी इतनी करो इबादत ये इश्क़ हरगिज़ खुदा नहीं है न तुम अकेले हो मयक़दे में न यार तेरा अकेला साक़ी …

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है शौक बहुत मंहगा हमने जिसे पाला है- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

है शौक बहुत मंहगा हमने जिसे पाला है- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri कुंदन सा बदन लेकर काँटे वो उगलते हैं अरमान मेरे दिल का पैरों से कुचलते हैं है शौक बड़ा उनको बिजली भी गिराने का हम उनके मुहल्ले से बच बच के निकलते हैं …

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मैं कैस तुम्हारा हूँ- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

मैं कैस तुम्हारा हूँ- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri तुम मेरे मुकद्दर की पाकीज़ा सी सूरत हो मैं तेरा सहारा हूँ तुम मेरी जरूरत हो तुम हया का पैकर हो पलकों को झुकाने पर बस एक करम कर दो तुम अपने दीवाने पर तीर ए नजर …

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 कोई जुर्म नहीं क़ातिल का अब- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

कोई जुर्म नहीं क़ातिल का अब- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri इस इश्क़ ए जुनुं की महफ़िल कोई मोल नहीं है दिल का अब मक़तूल मोहब्बत करता था कोई जुर्म नहीं क़ातिल का अब दिल कतरा कतरा बिखरा है और आँख से मोती झरते हैं तुम …

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मैं तेरा दीवाना नहीं रहा- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

मैं तेरा दीवाना नहीं रहा- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri इश्क़ की रौनक नहीं रही उल्फ़त का जमाना नहीं रहा तुम मेरी पुजारन नहीं रही मैं तेरा दीवाना नहीं रहा वो चाँद सा मुखड़ा खिड़की में मैं जिसको देखा करता था वो हुस्न परीशां देख के …

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तुमसे बेहतर कौन करे है- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri

तुमसे बेहतर कौन करे है- अंतर्द्वंद्व एखलाक ग़ाज़ीपुरी-एखलाक ग़ाज़ीपुरी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Akhlaque Gazipuri नैन मिलाकर नैन चुराना तुमसे बेहतर कौन करे है नैनों से ही सब कह जाना तुमसे बेहतर कौन करे है अपने दिल की सब बातें तुम कह देती हो इशारों में चुप रह कर भी प्यार …

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